एंटीबायोटिक दवाओं को बेअसर करने वाले प्रतिरोधी :रिज़िस्टन्टः बैक्टीरिया की बढ़ती समस्या से निजात पाने में जामिया मिल्लिया इस्लामिया की एक अनुसंधान टीम नेबड़ी कामयाबी हासिल की है। इस टीम ने एंटीबायोटिक के साथ सिल्वर नैनोपार्टिकल्स मिलाकर किए गए अपने अनुसंधान से पाया कि इस फार्मूले से एंटीबायोटिकरिज़िस्टन्ट बैक्टीरिया को बहुत ही असरदार तरीके से मारा जा सकता है। यही नहीं, ऐसा बहुत कम खुराक से किया जा सकता है।
बायो साइंस विभाग की प्रो. (डा.) मरियम सरदार की टीम ने अपने अनुसंधान में सिल्वर नैनोपार्टिकल्स को एम्पीसिलीन जैसी एंटीबायोटिक से मिलाकर पाया कि उनका यहनया फार्मूला एंटीबायोटिक दवाओं के रिज़िस्टन्ट बैक्टीरिया को मारने में बहुत ही असरदार भूमिका निभाता है। डा सरदार की इस अनुसंधान टीम में नफ़ीसा ख़ातून , हम्मादआलम, आफ़रीन ख़ान और ख़ालिद रज़ा शामिल हैं।
एंटीबायोटिक्स दवाओं के अंधाधुंध इस्तेमाल से वक्त के साथ साथ एंटीबायोटिक प्रतिरोधी बैक्टीरिया का भी विकास हुआ। इससे जीवन रक्षक कही जाने वाली एंटीबायोटिकदवाओं का असर खत्म होने लगा। हाल के सालों में वैज्ञानिकों ने सिल्वर नैनोपार्टिकल्स में कुछ वैकल्पिक संभावनाएं खोजी हैं। लेकिन ऐसा लगता है कि सिल्वर नैनोपार्टिकल्सके प्रति भी प्रतिरोधक क्षमता विकसित होने लगी है। जामिया की टीम ने , हालांकि अपने अनुसंधान में नयी संभावनाओं को जन्म दिया है।
एम्पीसिलीन, शुरूआती एंटीबायोटिक दवाओं में से एक है। यह बैक्टीरिया की सेल वाल बनाने की क्षमता में दखल देकर अपने काम को अंजाम देती है, जबकि सिल्वरनैनोपार्टिकल्स उनके सेल मेंब्रेने को नुकसान पंहुचाने का काम करते हैं। एम्पीसिलीन दवा का रिज़िस्टंस अब आम बात हो गई है, और अब तो कुछ ग्राम-नेगेटिव बैक्टीरियाभी सिल्वर नैनोपार्टिकल्स के प्रति प्रतिरोधक क्षमता दिखाने लगे हैं।
जामिया की इस अनुसंधान टीम ने एंटीबायोटिक के प्रति संवदेनशील और प्रतिरोधी, दोनों तरह के छह अलहदा स्ट्रेन के बैक्टीरिया में अपने इस नए फार्मूले का परीक्षणकिया। उन्होंने पाया कि यह फार्मूला न सिर्फ बैक्टीरिया को मारने में असरदार है बल्कि यह एम्पीसिलीन और सिल्वर नैनोपार्टिकल्स से कहीं कम डोज़ में ऐसा कर पाने कीताक़त रखता है।
अनुसंधानकर्ताओं ने अपने इस नए फार्मूले में भी बैक्टीरिया के प्रतिरोधी क्षमता विकसित कर लेने की अशंकाओं को लेकर अनुसंधान किया। इसके लिए उन्होंने बैक्टीरियाको लगातार इसके लिए एक्सपोज़ किया और पाया कि 15 साइकल्स आॅफ एक्सपोज़ के बाद भी बैक्टीरिया में किसी तरह का रिज़िस्टन्स नहीं पाया गया।
इस तरह इस नए फार्मूले को बैक्टीरिया से निजात पाने में कहीं ज़्यादा असरदार पाया गया क्योंकि यह बहुत कम डोज़ में बैक्टीरिया को मार देता है और इससे बैक्टीरिया मेंकिसी तरह की रिज़िस्टन्स भी दिखाई नहीं दी।
प्रो. (डा.) मरियम सरदार ने बताया कि उनके अनुसंधान दल के इन नतीजों को और अधिक क्लिनिकली पैथोजेनिक रिज़िस्टन्ट स्ट्रेन्स में प्रयोग किया जाएगा। इसके अलावा