नयी दिल्ली, 25 मई (मसर्रत डॉट कॉम) देश में फैली अव्यवस्था, नफरत भरे अभियान और राजनीतिक प्रतिशोध की ओर इशारा करते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री, सांसद एवं अखिल भारतीय क़ौमी तंज़ीम के राष्ट्रीय अध्यक्ष तारिक अनवर ने कहा कि कोई भी देश एक खास समुदाय (मुसलमानों) की अनदेखी करके विकसित नहीं हो सकता। उन्होंने यह बात आज यहां अखिल भारतीय राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक की अध्यक्षता करते हुए कही।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमंत्री पद संभालने के बाद लाल किले की प्राचीर से अपने संबोधन में ‘सबका साथ सबका विकास’ का नारा दिया था, लेकिन आज जमीनी स्तर पर इसकी सच्चाई से सभी वाकिफ हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री का नारा झूठा साबित हुआ। उन्होंने कहा कि इससे ज्यादा झूठा नारा कोई नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि आज देश के एक खास वर्ग को नजरअंदाज करने की कोशिश हो रही है। एक तरफ विश्व गुरु बनने का नारा दिया जा रहा है तो दूसरी तरफ समाज के एक खास वर्ग की उपेक्षा, पूर्वाग्रह और भेदभाव किया जा रहा है। सवाल यह है कि ऐसे आचरण वाला कोई देश वैश्विक नेता कैसे बन सकता है?
उन्होंने कहा कि किसी भी सभ्य समाज की पहचान इस बात से होती है कि समाज के कमजोर वर्ग किस प्रकार रहते हैं, उनके साथ कोई भेदभाव नहीं होता। यदि ऐसा हो रहा है तो वह समाज सभ्य नहीं हो सकता। उन्होंने दावा किया कि एक विशेष पार्टी देश में नफरत फैलाकर राजनीतिक लाभ हासिल करना चाहती है। ऐसी स्थिति में देश का विकास कैसे हो सकता है? साथ ही उन्होंने कहा कि आज देश के संविधान को बदलने की कोशिश की जा रही है और इस पर सवाल उठाने वालों पर देशद्रोह का आरोप लगाकर जेल भेजा जा रहा है।
राज्यसभा सदस्य एवं सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि भारत में विविधता इसकी विशेषता है और लोकतंत्र की पहचान भी है। उन्होंने वक्फ संशोधन अधिनियम की कमियों की ओर ध्यान दिलाते हुए कहा कि उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ करना संविधान के तहत दिया गया अधिकार है। उन्होंने कहा कि वक्फ संपत्ति का पंजीकरण छह माह के भीतर करने का कानून है। सवाल यह है कि वक्फ-बाय-यूजर संपत्ति का पंजीकरण कैसे किया जाए। उन्होंने कहा कि कलेक्टर किसी भी संपत्ति को विवादित घोषित कर उसे वक्फ संपत्ति से बाहर कर सकता है। इसके बाद, जब तक कोई निर्णय नहीं हो जाता, यह वक्फ संपत्ति नहीं रहेगी। इसके अलावा उन्होंने बाल्डुर न्याय और अन्य मुद्दों पर भी अपने विचार व्यक्त किए।
पटना उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति इकबाल अंसारी ने कहा कि न्यायालय के समक्ष चाहे कोई भी मामला हो, अगर वह चाहे तो न्याय हो सकता है। बाबरी मस्जिद और राम जन्मभूमि का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि राम जन्मभूमि के पक्ष में कोई सबूत नहीं था, लेकिन अदालत ने मामले को खत्म करने के लिए अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए फैसला सुनाया। उन्होंने अदालत के रवैये की ओर इशारा करते हुए कहा कि एक प्रोफेसर के मामले में एसआईटी गठित की गई, जबकि उनके पोस्ट में यह नहीं बताया गया कि क्या गलत हुआ।
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता बलराज मलिक ने देश की खराब स्थितियों की ओर इशारा करते हुए कहा कि लोकतंत्र का मतलब हितधारकों के परामर्श से कानून बनाना है, लेकिन सरकार ने न तो किसान कानून में किसानों से परामर्श किया और न ही बंदोबस्ती कानून बनाने में मुसलमानों से। मुसलमानों को सबसे बड़ा देशभक्त बताते हुए उन्होंने कहा कि विभाजन के समय उनके पास पाकिस्तान जाने का विकल्प था, लेकिन उन्होंने हिंदुओं के साथ रहना पसंद किया।
पूर्व सांसद एवं नई दुनिया के पूर्व संपादक शाहिद सिद्दीकी ने क़ौमी तंज़ीम की विगत उपलब्धियों पर प्रकाश डाला तथा कहा कि टाडा को समाप्त करने में क़ौमी तंज़ीम ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। साथ ही उन्होंने कहा कि संगठन तो बहुत हैं, लेकिन क़ौमी तंज़ीम ही एकमात्र ऐसा संगठन है, जिसमें सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व है। उन्होंने कहा कि देश में मुद्दा सिर्फ मुसलमानों का नहीं है, बल्कि सभी लोगों के साथ हो रहे अन्याय का है।
पूर्व सांसद अदीब अहमद ने देश की दुर्दशा पर बोलते हुए कहा कि वह भारत को किस्तों में डूबते हुए देख रहे हैं। यह मेरे बचपन का भारत नहीं है।
दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रतन लाल ने न्यायपालिका में मुस्लिम विरोधी रवैये पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यहां जनमत का सम्मान करते हुए न्याय किया जाता है और जनमत मुसलमानों के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि यह लड़ाई मुसलमानों के खिलाफ नहीं बल्कि देश और कमजोर वर्गों के खिलाफ है।
प्रख्यात पत्रकार आशुतोष ने कहा कि मौजूदा दौर की लड़ाई हिंदू-मुसलमान की लड़ाई नहीं है, बल्कि देश की लड़ाई है और इस समय को बचाने की लड़ाई है। जो व्यक्ति अपने अधिकार के लिए खड़ा होगा उसके लिए खतरा।
झारखंड के पूर्व सांसद फुरकान अंसारी ने कहा कि जब मुगल, अंग्रेज और यहां तक कि कांग्रेस सत्ता में थी, तब हिंदू खतरे में नहीं थे, लेकिन जब से मोदी सरकार सत्ता में आई है, तब से हिंदू खतरे में हैं।
पूर्व सांसद कंवर दानिश अली ने देश के हालात की ओर इशारा करते हुए कहा कि आज देश में कानून की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।
अखिल भारतीय क़ौमी तंज़ीम महासचिव एवं दिल्ली कांग्रेस के सोशल मीडिया के चेयरमैन हिदायतुल्लाह ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य न केवल देश के हालात पर चिंतन करना है, बल्कि उसके समाधान की ओर बढ़ना भी है। हम सभी को इस बात पर विचार करना चाहिए कि देश में शांति और सौहार्द का माहौल कैसे स्थापित किया जाए।
दिल्ली क़ौमी तंज़ीमके अध्यक्ष डॉ. परवेज मियां ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। जबकि मंच संचालन का कार्य पद्मश्री प्रोफेसर अख्तरुल वासे ने अंजाम दिया ।