Jadid Khabar
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अगर ये राम राज है तो फिर रावन राज किसको कहते है.....

  • 08 Mar 2018
  • आबिद अनवर
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आज पूरे देश में अफ़रा तफ़री , दहशतगर्दना हमले, औरतों के साथ छेड़खानी और दरिंदगी, अधिकारियों पर हमले, गौ रक्षकों की गुंड़ागर्दी, मुसलमानों पर हमलें और उन्हें डर वा भय में जिंदगी गुज़ारने पर मजबूर का अभियान जबरदस्त तरीके से चल रहा है । उत्तर प्रदेश हो या बिहार,  हरियाणा हो या राजस्थान, गुजरात हो या महाराष्ट्र, झारखंड हो या कोई अन्य राज्य हर जगह अशान्ति, दलितों और मुसलमानों के साथ बदसलूकी और अत्याचार किये जा रहे हैं। बजरंग दल, गौ रक्षक दल, हिन्दू युवा वाहिनी, दुर्गा वाहिनी और इसी तरह के कई अन्य हिन्दू संगठनों की क्रूरतापूर्ण हरकतें पूरे देश में जारी हैं, सिर्फ संगठन ही नहीं जितने भी हिन्दू अतिउग्र लीडर हों चाहे वो साधू हो सा साद्धवी, नेता हो या मंत्री उन्हें मुसलमानों और उनके धर्म के बारे में अनाप शनाप बोलने, सियासी, समाजी और शिक्षण तौर पर उन्हें नीचा दिखाने की खुली छूट मिल गई है । पुलिस, प्रशासन सब इनके सामने नतमस्तक हैं और हर वक्त इनकी सुरक्षा के लिये तैयार रहते हैं, कोई भी सेकुलर  ताकत इन शिद्दत पसंद खूनी इंसानी नामक जानवरों के खिलाफ आवाज नहीं उठा रही। सारी सेकुलर पार्टियाँ सिर्फ नाम की सेकुलर रह गई हैं हकीकत तो ये है की इन पार्टियों ने सेकुलरिज्म के लबादे के पीछे अपनी संघीय मानसिकता छुपा रखी है जिससे वो देश के दबे कुचले, और पिछड़े तबकों और खासकर मुसलमानों को अच्छी तहर बेवकूफ बना कर इनका इस्तेमाल अपने फयदे के लिये करती आ रही  हैं। सरकार की ख़ामोशी और कहीं कहीं खुल्लम खुल्ला समर्थन इन फासीवादी संगठनों और उनके किराये के गुंड़ो को हासिल है , ये फसादी तत्व इस कदर खुदसर और बेलगाम हो गये हैं की उचच अधिकारी भी इनके सामने बेबस नज़र आते हैं और अपनी जान बचा कर भागते हैं। इन किराये के गुंड़ों की पहुँच अब अधिकारियों के बेडरूम तक हो गई है ,कोई भी अधिकारी इनके खिलाफ मुंह खोलने से डरता है, मंत्री तक उनके काले कारनामें पर कार्यवाही करने के बजाय इनकी बदसलूकी और बदतमीजी को जान बूझ कर अनदेखा कर रहे हैं। यहां सूरते हाल किस कदर भयावाह और संगीन है इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है की जिन पर अमन वा कानून स्थापित करने की जिम्मेदारी है वही लोग खामोश तमाशाई बने बैठें हैं, क्या ये अपराधियों के साथ घुल मिल गये हैं या फिर उनसे डर गये हैं..? अब तक सिर्फ मुसलमान ही निशाने पर थें लेकिन अब दलित कमजोर तबका और हर वो इंसान निशाने पर हैं जो भी उनके खिलाफ बोलने की हिम्मत करता है । टीवी चैनल, अखबार और मीडिया के अन्य जरिये इन फासीवादी ताकतों के हाथ का खिलौना बने हुये हैं, मीडिया पर बुरा वक़्त एमरजेंसी के समय भी आया था लेकिन मीडिया उस वक्त थोड़ा सा ही छुका था लेकिन इस वक्त स्थिती ये है की फासीवादी तत्वों के बीच मीडिया पूरी तरह लेट गया है । पूरे देश में होने वाले उग्र हमलों के बारे में मीडिया ने पूरी तरह अपनी आँखें बंद कर ली हैं और अगर देखती  भी है तो सरसरी और एकतरफा तौर पर जिसमें सिर्फ फासीवादी तकतों की हिमायत की दलीले ही होती हैं ,इसमें मीडिया की सारी कोशिश होती है की दंगाइयों को बेकसूर साबित किया जाये । उत्तर प्रदेश में अभी हालही में हुये विधानसभा के  चुनाव में बीजेपी ने अपनी चुनावी घोषणा में गुंडा राज खत्म करके अम्न व कानून की हुकूमत क़ायम करने का वादा किया था लेकिन योगी हुकूमत के शपथ लेते ही जिस तरह की गुंडागर्दी शुरू हुई है अगर इसे ही हुक्मरानी कहते है तो जंगल राज क्या होता है और रावण राज किसको कहते हैं...? क्या सिर्फ गैर बीजेपी वाले राज्यों में ही जंगल राज होता है..? क्या बीजेपी शासित राज्यों में होने वाले हत्या, खुन खराबा, बलात्कार, चोरी, दहशतगर्दी, दरिंदगी तरक्की के माने में शुमार होती हैं। मध्य प्रदेश में औरतों के साथ सबसे ज्यादा ज्यादती होती है लेकिन कभी भी अखबारों की हेडलाइन्स क्यूँ नहीं बन पाती, क्यूंकि वहां बीजेपी की सरकार है और आगर कोई चैनल वाला या वाली ये रिपोर्ट दिखायेगी तो उनके साथ क्या सलूक होगा ये सोच कर ही दिल दहल जाता है, अधिकारियों के साथ क्या सलूक होता है ये भी किसी से छुपा नहीं है, अभी हालहीं में सहारनपुर और महोबा में दो उच्च अधिकारीयों के साथ जो दहशतगर्दाना वाकया पेश आया वो तमाम अधिकारियों को शर्मिंदा कर देने के लिए कफी है। जब ये इंतिहा पसंद हिन्दू संगठन सिस्टम के आला अधिकारियों के साथ इस तरह की हरकत कर सकते हैं तो आम लोगों और खास कर मुसलमानों के साथ क्या करते होंगे इसका बखूबी अंदाजा लगाया जा सकता है । सहारनपुर में सांसद राघव लखन पाल शर्मा और कई विधायक समेत बड़ी संख्या में बीजेपी नेताओं ने परमीशन ना होने के बावजूद जबरदस्ती शोभा यात्रा निकाली, डीएम शफ़कत कमाल और एस.एस.पी लव कुमार के मना करने के बावजूद ये शोभा यात्रा निकाली गई , घटना में शामिल लोगों ने एस एस पी के घर के सामने प्रदर्शन किया इस दौरान बीजेपी नेताओं के साथ मिलकर एस एस पी के घर के सीसी टीवी कैमरा और नेम प्लेट भी तोड़ दिया गया, वहीं कुछ लोगों ने गाड़ियों को आग लगानी शुरू कर दिया उस दौरान एस एस पी की बीवी बच्चों को भी ख़ौफज़दा करने की कोशिश की गई, कई लोगों ने कुछ दुकानो में भी तोड़ फोड़ की और सामान भी लूट लिया, उस दौरान होने वाले पत्थराव की वजह से डीयम एस एस पी को भाग कर अपनी जान बचानी पड़ी, उस दौरान पुलिस की भी कई गाड़ियों मे तोड़ फोड़ की गई, कमिश्नर की गाड़ी पर भी पत्थराव किया गया । उत्तर प्रदेश के ही ताजा मामले बुंदेलखंड इलाके के महोबा जिले में महिमा विद्यार्थी नाम की महिला अधिकारी जीत पुर ब्लॉक में तैनात है महिला अधिकारी के मुताबिक जब वह सरकारी दफ्तर में काम काज निमटा कर अपनी सरकारी आवास पर पहुंची तो पीछे पीछे बीजेपी लीडर असमिन्दर दिवेदी भी पहुंच गया और जबरदस्ती कुछ कार्यकर्ताओं के साथ सोने के कमरे में घुस गया, जब महिला अधिकारी ने इसका विरोध की तो कार्यकर्ताओं ने उनके साथ बदसलूकी की । महिला अधिकारी ने ये भी आरोप लगाया है की दिवेदी जबरन काम कराने के नाम पर उनसे बदसलूकी करते हैं, महिला अधिकारी ने इसकी शिकायत पुलिस से की तो मौके पर पहुंची पुलिस ने मुलजिम के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की, उसके बाद जब महिला अधिकारी को मंत्री के आने की ख़बर मिली तो वो उनसे शिकायत करने पहुंच गई यहां भी उनकी शिकायत अनसुनी कर दी गई जब मीडिया के लोगों ने मंत्री से पूछा तो उन्होंने यह कहते हुए मामले को टाल दिया की बीजेपी के कार्यकर्ता गलत काम नहीं करते हैं, कभी कभी एक्साइटमेंट में ऐसा हो जाता है।मंत्री का ये वकतब्य ना सिर्फ हैरानकुन है बल्कि गैरजिम्मेदाराना भी है । उत्तर प्रदेश के योगी अदित्यनाथ अगरचे राज्य में कानून का राज स्थापित करने की बात करते हैं, महिलाओं की सुरक्षा की बात करते हैं, एंटी रोमियो स्क्वायड की बात करते हैं मगर वास्तविकता में उनकी ही पार्टी के लोग ही महिला क इज्जत को तार तार कर रहे हैं । बीजेपी, आर एस एस और उससे जुड़े संगठनों की गुंडागर्दी सिर्फ यूपी तक सीमित नहीं है उनका निशाना इस वक्त बिहार भी है, जब से बिहार में बीजेपी को हार का मुंह देखना पडा है वो बुरी तरह बौखलाई हुई है। अब तक दर्जनों छोटे बड़े फसाद हो चुके हैं।   

फरबिस गंज फयरिंग में अपनी दरिंदगी और वहशियाना हरकत का सबूत पेश करने वाली पुलिस नवादा में चुहिया क्यूँ बन जाती है । पिछले दिनो नवादा में जिस तरह वहशियाना घटनायें हुई हैं वो गुजरात दंगों की याद ताजा कर देती है, जिस तरह गुजरात में एहसान जाफरी पर हमला किया गया था उसी तरह बिहार के नवादा में जेडीयू एम एल सी सलमान राग़िब के घर पर हमला किया था,ये सब इन सरफिरे दंगाइयों ने पुलिस की निगरानी में किया था और पुलिस ख़ामोश तमाशाई बनी रही, तकरीबन सौ घरों में आग लगा दी गई और दर्जनो लोगों को घायल कर दिया गया.....

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