मशाल
उठा मशाल, जला मशाल
क़दम क़दम बढ़ा जन विशाल
भविष्य का कर तू ख़याल
कर दे तु अंधेरे को पामाल
जब तक हाथों में है मशाल
तेरे क़दम ना रुके जन विशाल
बॉर्डरों पर कर रहा इंतज़ार
भारत देश का असहाय लाल
गर अब भी सोएगा ओ देश के लाल
तो देश हो जाएगा हाल से बेहाल
जो तुम्हारी रोटियों का रख़ता है ख़्याल
उसको तुम्हारी ज़रूरत है उठो देश के नौनिहाल
बिजली काटी और पानी भी बंद किया
फिर भी अडिक रहा धरती के लाल
कड़कड़ाती ठंड में भी क़दम ना डिगा
क्या ख़ूब हौसला है मेरे धरती के लाल
अपने हिम्मत कि तू दे सबको मिशाल
कि दुनिया देखे यह है भारत का जन विशाल
उठा मशाल, जला मशाल
क़दम क़दम बढ़ा जन विशाल